कौन…..❔❔❔

मैं कृष्ण हूँ या कृष्णमयी हो गयी हूँ…
कृष्ण मुझ में है या मैं कृष्ण में समा गई हूँ…
सारा जग मेरा है या मैं सारे जग की हो गयी हूँ…
कृष्ण है प्रेम या मैं प्रेम हो गयी हूँ…
कृष्ण कृष्ण करूँ या खुद का नाम लूँ…
मेरे अंतर्मन में प्रेम समाया है या मेरा रोम रोम प्रेम का बना है…
मैं कृष्ण हूँ या प्रेम हूँ या मैं खुद ही सब हूँ…
ये प्रश्न है या उत्तर…
जी लूँ इस प्रश्न को कि उत्तर ना रह जाये..
जी लूँ इस उत्तर को की प्रश्न ही मिट जाए..
जो है मेरे हृदय में ये बसा..
ये कुछ अनकहा सा..
जो किसी शब्द की परिभाषा से है परे.. शायद इसे ही महसूस करते हुए..
मैं भी इस सागर को पार कर जाऊँ..

6 thoughts on “कौन…..❔❔❔

  1. This is so amazing and point to ponder.
    If we sit in silence with this poem, will give the feeling of oneness.
    Thank you Ruchi ji, for sharing this

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